चार वर्ष की आयु में ---------- मेरे पिताजी महानहै !
छ: वर्ष की आयु में ------------मेरे पिताजी सब कुछ जानते है !
दस वर्ष की आयु में ------------मेरे पिताजी बहुत अच्छे है,लेकिन गुस्सा बहुत जल्दी होते है!
तेरह वर्ष की आयु में -----------मेरे पिताजी बहुत अच्छे थे,जब में छोटा था!
चोदह वर्ष की आयु में ---------मेरे पिताजी बहुत तुनक मिजाज होते जा रहे है!
सोलह वर्ष की आयु में --------पिताजी ज़माने के साथ नही चल पाते है,बहुत पुराने ख्याल
के है !
अठारह वर्ष की आयु में --------हे भगवान अब तो पिताजी को झेलना बहुत मुश्किल होता
जा रहा है,पता नही माँ उन्हें कैसे सहन करती है!
बीस वर्ष की आयु में-----------पिताजी तो लगभग सनकी हो चले है!
पचीस वर्ष की आयु में---------पिताजी तो मेरी हर बात का विरोध करते है!
तीस वर्ष की आयु में-----------मेरे बच्चे को समझाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है ,
जबकि मैं अपने पिताजी से बहुत डरता था ,जब मैं
छोटा था !
चालीस वर्ष की आयु में--------मेरे पिताजी ने मुझे बहुत अनुशासन के साथ पाला ,मुझे भी
अपने बच्चे के साथ ऐसा ही करना चाहिए !
पेतालिस वर्ष की आयु में------मैं आश्चर्य चकित हूँ की कैसे मेरे पिताजी ने हमे बड़ा किया
होगा !
पचास वर्ष की आयु में---------मेरे पिताजी ने हमे यहाँ तक पहुचाने के लिए बहुत कष्ट
उठाये ,जबकि मैं अपनी एकलौती औलाद की देखभाल ही
ठीक से नही करती पाटा !
पचपन वर्ष की आयु में-------मेरे पिताजी बहुत दूरदर्शी थे और उन्होंने हमारे लिए कई
योज़नाये बनाई थी !वे अपने आप में बेहद उच्च कोटी के
इन्सान थे ,जबकि मेरा बेटा मुझे सनकी समझता है!
साठ वर्ष की आयु में---------वाकई मेरे पिताजी महान है!
अर्थात पिताजी महान है इस बात को पूरी तरह से समझने में व्यक्ति को साठ वर्ष लग जाते है !
विनय जैन (आदिनाथ)
जबलपुर
Friday, September 26, 2008
Tuesday, September 9, 2008
थोडी से उनकी इनायत हो जाय ,
सूनी महफ़िल में रोनक हो जाय,
तोबा हम भी करले शराब से ,
गर उनकी हम पर भी महरबानी हो जाय ,
हम तो है ठहरे सागर की तरह ,
वो जो छुले तो मौजो में रवानी आजाए ,
गुम नाम है इस सहर में हम तो ,
थामले वो हम को तो वेशकीमती हो जाए ,
अँधेरी है कबसे राते मेरी "सागर"
रुखसे उठादे जो वो नकाब तो ये रोशन हो जाए......................
Friday, September 5, 2008
एक रात
Saturday, August 30, 2008
Friday, August 29, 2008
बिटिया ना कीजो
जब तुम्हारे कोख में आई थी माँ मैं ,
कोई नहीं जानता था की क्या है ?,
सभी चाहते थे एक बेटा हो,
पर तुम क्या कर सकती थी माँ ,
मुझे जन्म देना पड़ा ......और शुरू हो गई मेरी लाचारी ....
कभी बहन बनकर ,
कभी बेटी बनकर,
सभी मुझे सताते रहे ,
बड़ी हुई तो कर दिया बिदा,रोती रही ,विलखती रही ,
किसीने नही सुनी मेरी एक ..बस कर दिया विवाह ..
आगई बहु बन सशुराल अपनी ,कभी सास तो ,कभी नन्द , तडपाती रही ...दहेज़ के लिए....
करता रहा हरण जिस्म का पति बनकर,
देता रहा ताने ससुर भी,
पल-पल पीती रही विष ,मान सुधा का खुट मैं ,
करती रही खून हाथ अपने ,
अपने ही अरमानो का ,
पर अब किये जो दाता मेरे ,ऐसा ना कीजो ,
अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो !!!!!!!!!!
जब तुम्हारे कोख में आई थी माँ मैं ,
कोई नहीं जानता था की क्या है ?,
सभी चाहते थे एक बेटा हो,
पर तुम क्या कर सकती थी माँ ,
मुझे जन्म देना पड़ा ......और शुरू हो गई मेरी लाचारी ....
कभी बहन बनकर ,
कभी बेटी बनकर,
सभी मुझे सताते रहे ,
बड़ी हुई तो कर दिया बिदा,रोती रही ,विलखती रही ,
किसीने नही सुनी मेरी एक ..बस कर दिया विवाह ..
आगई बहु बन सशुराल अपनी ,कभी सास तो ,कभी नन्द , तडपाती रही ...दहेज़ के लिए....
करता रहा हरण जिस्म का पति बनकर,
देता रहा ताने ससुर भी,
पल-पल पीती रही विष ,मान सुधा का खुट मैं ,
करती रही खून हाथ अपने ,
अपने ही अरमानो का ,
पर अब किये जो दाता मेरे ,ऐसा ना कीजो ,
अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो !!!!!!!!!!
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