थोडी से उनकी इनायत हो जाय ,
सूनी महफ़िल में रोनक हो जाय,
तोबा हम भी करले शराब से ,
गर उनकी हम पर भी महरबानी हो जाय ,
हम तो है ठहरे सागर की तरह ,
वो जो छुले तो मौजो में रवानी आजाए ,
गुम नाम है इस सहर में हम तो ,
थामले वो हम को तो वेशकीमती हो जाए ,
अँधेरी है कबसे राते मेरी "सागर"
रुखसे उठादे जो वो नकाब तो ये रोशन हो जाए......................
1 comment:
vinay likhte rahe khyaal bhaut pukhta hai
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