Wednesday, June 30, 2010

बचपन का ज़माना

बचपन का ज़माना होता था
खुशियों का खज़ाना होता था
चाहत चाँद को पाने की,
दिल तितली का दीवाना होता था ,
खबर ना थी कुछ सुबह की,
ना शाम का ठिकाना होता था,
थक-हार के आना स्कूल से ,
पर खेलने भी जाना होता था ,
दादी की कहानी होती थी ,
परियों का फ़साना होता था ,
बारिश में कागज़ की कश्ती थी ,
हर मौसम सुहाना होता था ,
हर खेल में साथी होते थे,
हर रिश्ता निभाना होता था,
पापा की वो दाटे,गलती पर ,
मम्मी का मानना होता था,
गम की जुबान ना होती थी,
ना जख्मो का पैमाना होता था,
रोने की वजह ना होती थी,
ना हसने का बहाना होता था,
अब नहीं रही बो जिंदगी ....
जैसा बचपन का ज़माना होता था.........

Sunday, April 19, 2009

इन्सान को हैवान बना दिया !!!!


अपनी ही बेटी को आज,
कोख में ही दफना दिया,
वंश बढाने की चाहत में,
बेटी को ही बलि चढा दिया,
लक्ष्मी की तो पूजा करते सब,
पर बहु को ही अपनी जला दिया,
जिस माँ के आँचल का दूध पिया,
उस माँ को ही खून के आंसू रुला दिया,
जिस कोख से तुझको जन्म मिला,
उस कोख को ही शमशान बना दिया,
बेटे की चाहत ने....
इन्सान को हैवान बना दिया !!!!

ViNaY

Tuesday, January 20, 2009


This is what a father
would say to his son...
....if,only,he could
remember those times.
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Dear Son,
The day that u see me old & I m
already not,have patience and try to
understand me...
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if i get dirty when eating...
if I can't dress..have patience.
Remember the hours
I spent teaching it to u.
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If when I speak to u, i repeat the
same things thousand & one times..
do not interrupt me...Listen to me.

When u were small,I had to
read to u thousand & one times the
same story until u slept..
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When i don't want to have a
shower,neither shame me
nor scold me...

Remember when i had to chase
you with thousand excuses i
invented,in order that you
wanted to bath..
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when u see my ignorance on
new technologies...give me the
necessary time & not look at me
with u r mocking smile...
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i taught u how to do so many
things..to eat good,to dress well..
to confront life...
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When at some moment i lose the
memory or the thread of our
conversation..let me have the
necessary time to remember..&
if i can't do it, don't become
nervous...as the most important
thing is not my conversation but
surely to be with u & to have u
listening to me.....
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If ever i don't want to eat,
don't force me.I know well when
i need to & when not...
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When my tired legs do not
allow Me walk...
..give me u r hand...
the same way i did when u
gave your first steps.
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And when someday i say to u that
i don't want to live any more..that
i want to die...do not get angry...
some day u will understand...

try to understand that my age
is not lived but survived.
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You must not feel sad,angry or
impatient for seeing me near you.
You must be next to me,try to
understand me & to help me as
i did it when you started living.
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Help me to walk..help me to
end my way love & patience.
I will pay u by a smile &
by the immense love i have had
always for you.
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i love you son

Your Father

Friday, January 16, 2009

बहुत याद आता है,



बहुत याद आता है,
बचपन का बो ज़माना,
घंटों नदी में नहाना,
चुपके से आम तोड़कर चुराना,
दिन भर गिल्ली-डंडा खेलना,
और पड़ोस वाली आंटी के घर के सीसे तोड़ना,
माँ से रोज़ डाट खाना ,
फिर प्यार से उनका बो मनाना,
दादा जी छड़ी लेकर भाग जाना,
तो कभी अम्मा का चस्मा छुपाना,
हर रात माँ से चाँद को पाने की जिद करना,
और फिर कहानी सुनते हुए नानी की गोद में सोना,
वो झूट-मूट का लड़ना-झगड़ना,
और फिर आपसमे एक-दुसरे को मनाना,
सच अब बहुत याद आता है ,
बचपन का बो ज़माना ......

एक जरा सा दिल टुटा है, इसको हम समझाएं कैसे !!


उलझन में है साँसे मेरी,
उनकी झुल्फे सुलझाऊ कैसे ?
बीत चूका जो वक्त कभिका,
उसको हम लौटाएं कैसे?
उम्र नहीं है अभी मरने की,
मर कर हम जल जाएँ कैसे?
चोट लगी है इस दिल पर ,
उनको हम दिखलायें कैसे?
लहू बह रहा इन आँखों से,
उनसे आँख मिलाएँ कैसे?
ज़ख्म मिलें है मुझको कितने,
छाती चीर बताएं कैसे?
एक जरा सा दिल टुटा है, इसको हम समझाएं कैसे !!

Friday, September 26, 2008

चार वर्ष की आयु में ---------- मेरे पिताजी महानहै !
छ: वर्ष की आयु में ------------मेरे पिताजी सब कुछ जानते है !
दस वर्ष की आयु में ------------मेरे पिताजी बहुत अच्छे है,लेकिन गुस्सा बहुत जल्दी होते है!
तेरह वर्ष की आयु में -----------मेरे पिताजी बहुत अच्छे थे,जब में छोटा था!
चोदह वर्ष की आयु में ---------मेरे पिताजी बहुत तुनक मिजाज होते जा रहे है!
सोलह वर्ष की आयु में --------पिताजी ज़माने के साथ नही चल पाते है,बहुत पुराने ख्याल
के है !
अठारह वर्ष की आयु में --------हे भगवान अब तो पिताजी को झेलना बहुत मुश्किल होता
जा रहा है,पता नही माँ उन्हें कैसे सहन करती है!
बीस वर्ष की आयु में-----------पिताजी तो लगभग सनकी हो चले है!
पचीस वर्ष की आयु में---------पिताजी तो मेरी हर बात का विरोध करते है!
तीस वर्ष की आयु में-----------मेरे बच्चे को समझाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है ,
जबकि मैं अपने पिताजी से बहुत डरता था ,जब मैं
छोटा था !
चालीस वर्ष की आयु में--------मेरे पिताजी ने मुझे बहुत अनुशासन के साथ पाला ,मुझे भी
अपने बच्चे के साथ ऐसा ही करना चाहिए !
पेतालिस वर्ष की आयु में------मैं आश्चर्य चकित हूँ की कैसे मेरे पिताजी ने हमे बड़ा किया
होगा !
पचास वर्ष की आयु में---------मेरे पिताजी ने हमे यहाँ तक पहुचाने के लिए बहुत कष्ट
उठाये ,जबकि मैं अपनी एकलौती औलाद की देखभाल ही
ठीक से नही करती पाटा !
पचपन वर्ष की आयु में-------मेरे पिताजी बहुत दूरदर्शी थे और उन्होंने हमारे लिए कई
योज़नाये बनाई थी !वे अपने आप में बेहद उच्च कोटी के
इन्सान थे ,जबकि मेरा बेटा मुझे सनकी समझता है!
साठ वर्ष की आयु में---------वाकई मेरे पिताजी महान है!

अर्थात पिताजी महान है इस बात को पूरी तरह से समझने में व्यक्ति को साठ वर्ष लग जाते है !

विनय जैन (आदिनाथ)
जबलपुर

Tuesday, September 9, 2008



थोडी से उनकी इनायत हो जाय ,


सूनी महफ़िल में रोनक हो जाय,


तोबा हम भी करले शराब से ,


गर उनकी हम पर भी महरबानी हो जाय ,


हम तो है ठहरे सागर की तरह ,


वो जो छुले तो मौजो में रवानी आजाए ,


गुम नाम है इस सहर में हम तो ,


थामले वो हम को तो वेशकीमती हो जाए ,


अँधेरी है कबसे राते मेरी "सागर"


रुखसे उठादे जो वो नकाब तो ये रोशन हो जाए......................