Friday, September 26, 2008

चार वर्ष की आयु में ---------- मेरे पिताजी महानहै !
छ: वर्ष की आयु में ------------मेरे पिताजी सब कुछ जानते है !
दस वर्ष की आयु में ------------मेरे पिताजी बहुत अच्छे है,लेकिन गुस्सा बहुत जल्दी होते है!
तेरह वर्ष की आयु में -----------मेरे पिताजी बहुत अच्छे थे,जब में छोटा था!
चोदह वर्ष की आयु में ---------मेरे पिताजी बहुत तुनक मिजाज होते जा रहे है!
सोलह वर्ष की आयु में --------पिताजी ज़माने के साथ नही चल पाते है,बहुत पुराने ख्याल
के है !
अठारह वर्ष की आयु में --------हे भगवान अब तो पिताजी को झेलना बहुत मुश्किल होता
जा रहा है,पता नही माँ उन्हें कैसे सहन करती है!
बीस वर्ष की आयु में-----------पिताजी तो लगभग सनकी हो चले है!
पचीस वर्ष की आयु में---------पिताजी तो मेरी हर बात का विरोध करते है!
तीस वर्ष की आयु में-----------मेरे बच्चे को समझाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है ,
जबकि मैं अपने पिताजी से बहुत डरता था ,जब मैं
छोटा था !
चालीस वर्ष की आयु में--------मेरे पिताजी ने मुझे बहुत अनुशासन के साथ पाला ,मुझे भी
अपने बच्चे के साथ ऐसा ही करना चाहिए !
पेतालिस वर्ष की आयु में------मैं आश्चर्य चकित हूँ की कैसे मेरे पिताजी ने हमे बड़ा किया
होगा !
पचास वर्ष की आयु में---------मेरे पिताजी ने हमे यहाँ तक पहुचाने के लिए बहुत कष्ट
उठाये ,जबकि मैं अपनी एकलौती औलाद की देखभाल ही
ठीक से नही करती पाटा !
पचपन वर्ष की आयु में-------मेरे पिताजी बहुत दूरदर्शी थे और उन्होंने हमारे लिए कई
योज़नाये बनाई थी !वे अपने आप में बेहद उच्च कोटी के
इन्सान थे ,जबकि मेरा बेटा मुझे सनकी समझता है!
साठ वर्ष की आयु में---------वाकई मेरे पिताजी महान है!

अर्थात पिताजी महान है इस बात को पूरी तरह से समझने में व्यक्ति को साठ वर्ष लग जाते है !

विनय जैन (आदिनाथ)
जबलपुर

8 comments:

संतोष अग्रवाल said...

आपने सचमुच बहुत सही लिखा है. कृपया निरंतरता बनाये रखे. मैंने आपके ब्लॉग को बुकमार्क कर लिया है. आपसे निवेदन है कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें.

शोभा said...

वाह! बहुत सच लिखा है. आपका स्वागत है.

Shastri JC Philip said...

प्रिय विनय, एक बढते बालक के मनोभावों का सटीक चित्रण !!!

हिन्दी चिट्ठाजगत में इस नये चिट्ठे का एवं चिट्ठाकार का हार्दिक स्वागत है.

मेरी कामना है कि यह नया कदम जो आपने उठाया है वह एक बहुत दीर्घ, सफल, एवं आसमान को छूने वाली यात्रा निकले. यह भी मेरी कामना है कि आपके चिट्ठे द्वारा बहुत लोगों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिल सके.

हिन्दी चिट्ठाजगत एक स्नेही परिवार है एवं आपको चिट्ठाकारी में किसी भी तरह की मदद की जरूरत पडे तो बहुत से लोग आपकी मदद के लिये तत्पर मिलेंगे.

शुभाशिष !

-- शास्त्री (www.Sarathi.info)

श्यामल सुमन said...

घर घर की कहानी आपकी जुबानी। अच्छी कोशिश।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत सुंदर और सत्य विवेचन किया है आपने विनय जी बधाई आपका हिन्दी चिठ्ठा जगत में स्वागत है |
"सरकारी दोहे" का आनंद लेनी आप मेरे चिठ्ठे पर सादर आमंत्रित हैं |

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.

तरीका महाचिट्ठाकार शास्त्री जी ने बता ही दिया है हटाने का.

Ritcha said...

bohot hi acha likha hai aapne....aaj ki hakeekat,,saaf shabdon mein..!!

श्रद्धा जैन said...

haan sach kahte ho
vinay itni ghari soch ko samjhne aur likhne ke liye bahut badhyi

shayad kuch achhe log is baat ko samjhne main 60 saal na lagaye