Friday, January 16, 2009

एक जरा सा दिल टुटा है, इसको हम समझाएं कैसे !!


उलझन में है साँसे मेरी,
उनकी झुल्फे सुलझाऊ कैसे ?
बीत चूका जो वक्त कभिका,
उसको हम लौटाएं कैसे?
उम्र नहीं है अभी मरने की,
मर कर हम जल जाएँ कैसे?
चोट लगी है इस दिल पर ,
उनको हम दिखलायें कैसे?
लहू बह रहा इन आँखों से,
उनसे आँख मिलाएँ कैसे?
ज़ख्म मिलें है मुझको कितने,
छाती चीर बताएं कैसे?
एक जरा सा दिल टुटा है, इसको हम समझाएं कैसे !!

2 comments:

Sujata Dua said...

sach haiiskohambatlaayain kaisey

Sujata Dua said...
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