बचपन का ज़माना होता था
खुशियों का खज़ाना होता था
चाहत चाँद को पाने की,
दिल तितली का दीवाना होता था ,
खबर ना थी कुछ सुबह की,
ना शाम का ठिकाना होता था,
थक-हार के आना स्कूल से ,
पर खेलने भी जाना होता था ,
दादी की कहानी होती थी ,
परियों का फ़साना होता था ,
बारिश में कागज़ की कश्ती थी ,
हर मौसम सुहाना होता था ,
हर खेल में साथी होते थे,
हर रिश्ता निभाना होता था,
पापा की वो दाटे,गलती पर ,
मम्मी का मानना होता था,
गम की जुबान ना होती थी,
ना जख्मो का पैमाना होता था,
रोने की वजह ना होती थी,
ना हसने का बहाना होता था,
अब नहीं रही बो जिंदगी ....
जैसा बचपन का ज़माना होता था.........
4 comments:
bachpan ki maasoomiyat
par bahut sundar
abhvyakti ...
Daanish jee shukria
bahut sunder
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