Wednesday, June 30, 2010

बचपन का ज़माना

बचपन का ज़माना होता था
खुशियों का खज़ाना होता था
चाहत चाँद को पाने की,
दिल तितली का दीवाना होता था ,
खबर ना थी कुछ सुबह की,
ना शाम का ठिकाना होता था,
थक-हार के आना स्कूल से ,
पर खेलने भी जाना होता था ,
दादी की कहानी होती थी ,
परियों का फ़साना होता था ,
बारिश में कागज़ की कश्ती थी ,
हर मौसम सुहाना होता था ,
हर खेल में साथी होते थे,
हर रिश्ता निभाना होता था,
पापा की वो दाटे,गलती पर ,
मम्मी का मानना होता था,
गम की जुबान ना होती थी,
ना जख्मो का पैमाना होता था,
रोने की वजह ना होती थी,
ना हसने का बहाना होता था,
अब नहीं रही बो जिंदगी ....
जैसा बचपन का ज़माना होता था.........

4 comments:

daanish said...

bachpan ki maasoomiyat
par bahut sundar
abhvyakti ...

Vinay Jain "Adinath" said...

Daanish jee shukria

Sujata Dua said...

bahut sunder

Sujata Dua said...
This comment has been removed by the author.